पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओ के आधार पर कहा जाता है की विष्णु भगवान के दो भक्त जय और विजय थे| ये वे दो भगवान विष्णु से शापित हो कर गज और मगरमच्छ के रूप में धरती पर उत्पन्न हुए। एक दिन कोंहारा घाट पर गज पानी पिने आता है तो मगरमच्छ उसे पकर लेता है| सालो तक उससे छुटकारा नही पाने पर गज ने दुखी होकर भगवान विष्णु को याद किया| वीष्णु ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपने सुदर्शन चक्र से गज को मगरमच्छ(ग्राह) से मुक्त किये| सोनपुर की हरिहर नाथ मंदिर दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है जहा विष्णु और हर शिव की एकीकृत मूर्ति है जिसकी स्थापना ब्रह्मा ने की थी| यह स्थान इतना पवित्र है की गुरुनानक,गौतम बुद्ध इस स्थान पर आये| स्वयं भगवान राम यहाँ आये और हरिहरनाथ की पूजा अर्चना की| कहा जाता है की पूर्णिमा के दिन कोंहारा घाट पर स्नान करने से सौ गो दान का फल प्राप्त होता है|
मेले की चमक
बिहार का सोनपुर मेला दुनिया में पशु मेला के नाम से प्रशिद्ध है| इस मेले में आवश्यकता की सभी वस्तु सुई से लेकर हाथी तक मिलती है| इस मेले की खास बात यह है की यहाँ सभी प्रकार के जानवर वो भी सभी नस्ल के होते है| अनेको किसान एक साल तक गाय, बैलों की खरीद के लिए इस मेले का इंतज़ार करते है| सभी प्रकार के पक्षी भी सोनपुर मेले मे बिक्री के लिये उप्लब्ध रहते है| इस मेले में अभी भी नतो को करतब करते हुए देख सकते है|ये लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर लोगो का मनोरंजन कर अपनी जीविका चलते है|
अभी वर्तमान समय में यह मेला लोगो के लिए प्रचार का साधन बन गया है| हर तरह के प्रचार इस तरह के होते है की वे आकर्षण के केंद्र बन जाते है| जैसे स्वक्षता अभियान, शिक्षा के प्रचार जैसी प्रदर्शनी लगाये जाते है| महिलयो को शिक्षित करना, उनके अधिकारों को बताना, सरकर द्वारा दी गयी योजना की और लोगो का ध्यान आकर्षित करता है| नयी नयी तकनीक के नमुने रखे जाते है| सबसे खाश बात यह है की इस मेले में विक्रेता साल भर की कमाई एक दो महीने में कर लेते है| रंग बिरंगे ऊनी कपरो से मेला रंगीन दिखाई देता है| चारो तरफ मेले में गुर की सौधी सौधी खुसबू फैली रहती है|
-- Kriti Shrivastava
सोनपुर मेला की विशिष्टता
प्रथम है घोड़ा बाजार - वैसे तो सोनपुर घोड़ा बाजार में आपको अनेक रंग-बिरंगे घोड़े देखने को मिल जायेगे लेकिन बाजार में कुछ ऐसे भी घोड़े होते है जिनकी कीमत एक लक्जरी कार जितनी हो सकती है। हमारे भारत में पुराने समय से हाथी और घोड़े शान और शौकत का प्रतीक मन जाता है और आज के दौर भी लोग घोड़े पालते है। कुछ घोड़े केवल प्रदर्शनी के लिए लाए जाते है जिनकी चाल ,रंग ,रूप आपका मन मोह लेगी और आपके मन में घुड़सवारी की इक्षा जगा देगी।
दूसरा है मिट्टी के सिटी और घिरनी - सोनपुर मेला एक प्राचीन मेला है और उतना ही पुराना वहाँ की मिटटी की सिटी और घिरनी है।ये मिटटी के सिटी बहुत ही सस्ते और मजेदार होते है। ये मेले के पुराणी परम्परा को बरक़रार रखे है और एक अलग पहचान बनाये हुए है। ये आपको मेले में हर जगह देखने मिल जायेगे।
तीसरा है थिएटर - थिएटर को सोनपुर मेला की जान कहा जाता है। यहाँ आपको लगभग दर्जनो थिएटर देखने को मिल जायेंगे। पुराने समय से ही थिएटर सोनपुर मेला की एक विशेष पहचान बनाये हुए है लेकिन थिएटर में बढ़ती अश्लीलता को देखते हुए थिएटर कुछ सालो के लिए प्रतिबंधित कर दिया था।,परन्तु दर्शको की मांग पर इनको कुछ शर्तो के साथ फिर शुरू कर दिया गया।
चौथा है जादूगर और सर्कस के शोज - किसी मेले में जादूगर और सर्कस एक विशेष महत्तव रखते है। सोनपुर मेला में अनेक प्रकार के जादूगर और सर्कस देखने को मिल जायेगे जो आपको रोमांच से भर देंगे। यहाँ के सर्कस और जादूगर के कलाकार विश्व प्रसिद्ध होते है। लोग मेले में इनका लुफ़्त भरपुर उठा है.यहाँ के सर्कस और जादूघर में आपको भीड़ अमूमन देखने को मिल जायेंगे ।
--Aaditya
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